chuha billi ka khel

" चूहा बिल्ली का खेल"  

याद आता है वो चूहा बिल्ली का खेल,
तेरी शरारतें, मेरी मासूम सी नादानी।
वो तेरा रूठना, मेरा मनाना,
कभी तू छुप जाती, कभी मैं ढूंढता,
खेल-खेल में ही
तेरी एक झलक पाने को, मैं बेताब रहता,
जैसे बिल्ली के पीछे, चूहे की जिंदगानी।
वो तेरा शर्माना, मेरी नज़रों से बचकर जाना,
दिल में बसी है, तेरी हर एक निशानी।
वक्त बदल गया, बदल गए हैं हम भी,
पर आज भी याद आती है, वो प्यारी सी शैतानी।
तू कहीं भी हो, मेरे दिल में बसी है,
तेरे बिना ये जिंदगी, है अधूरी सी कहानी।
आजा फिर से खेलें, वही चूहा बिल्ली का खेल, तेरे नाम,
तू ही है मेरी, इस दिल की रानी।

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