यादों की दरिया
धीरे-धीरे समय के साथ सब बदलता है लेकिन यादें वही ठहरी रहती है जहाँ अलविदा हुआ था जिस मोड़ पर महबूब की गली छूट गई थी दिल वर्षों बाद भी अचानक यूँ ही बेवजह परेशान हो जाता है शायद दिल नासमझ है उसे फिक्र होती होगी उस बिछड़े शख्स की जो कभी दिल के बेहद करीब रहा करती था दिल को शायद कोई बीमारी होगी उसके नाम से ही तेज धड़कने लगता है उसकी तस्वीरें देख कर पत्थर हुई पड़ी आँखों मे फिर अचानक से नमी आने लगती है लगता है सब कल ही की बातें है कल ही तो वो अजनबी बन कर मिली थी कल ही तो प्यार हुआ था अभी कल ही तो उससे बिछड़े थे..
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