मन बेचैन हो अपने प्रियतम से मिलने के लिए
सबसे मुश्किल है उस मन को मन मे ही मार कर रखना जब मन बेचैन हो अपने प्रियतम से मिलने के लिए हर पल जब उसी के ख्याल मन को डुबाते जा रहे हो ऐसा लगता है जैसे वो कहीं से अचानक ही चला आएगा मगर काफी दिन हो गए उसकी मौजूदगी का एहसास तो होता है लेकिन आँखों से ओझल होने लगे है उसकी छोटे बच्चों जैसी नदानियां बिल्कुल मेरी आँखों के सामने झलक रहीं है लग रहा है उसकी आवाज़ मानो कानों में अब भी हल्की हल्की सुनाई दे रहीं है वो शायद हर बार की तरह कुछ कहना चाहता हो पर जैसे ही मैं उसे स्पर्श करने की कोशिश करता हूँ वो अचानक ही अदृष्य हो जाता है...और फिर याद आता है नहीं हम मिले नहीं है वो मेरे पास नहीं है फिर मन एक शोक में डूब जाता है जिसमें उसमे मिलने की हसरते बढ़ने लग जाती है फिर कई घन्टे कई दिन कई महीने इस मन को समझाने मे लग जाते है जो पागल है अपने प्रियतम के लिए उनकी ही सुनता है उनमे मे ही लगा रहता है उनकी यादों मे ही खोया करता है...