Posts

Showing posts from 2025

मन बेचैन हो अपने प्रियतम से मिलने के लिए

Image
सबसे मुश्किल है उस मन को मन मे ही मार कर रखना जब मन बेचैन हो अपने प्रियतम से मिलने के लिए हर पल जब उसी के ख्याल मन को डुबाते जा रहे हो ऐसा लगता है जैसे वो कहीं से अचानक ही चला आएगा मगर काफी दिन हो गए उसकी मौजूदगी का एहसास तो होता है लेकिन आँखों से ओझल होने लगे है उसकी छोटे बच्चों जैसी नदानियां बिल्कुल मेरी आँखों के सामने झलक रहीं है लग रहा है उसकी आवाज़ मानो कानों में अब भी हल्की हल्की सुनाई दे रहीं है वो शायद हर बार की तरह कुछ कहना चाहता हो पर जैसे ही मैं उसे स्पर्श करने की कोशिश करता हूँ वो अचानक ही अदृष्य हो जाता है...और फिर याद आता है नहीं हम मिले नहीं है वो मेरे पास नहीं है फिर मन एक शोक में डूब जाता है जिसमें उसमे मिलने की हसरते बढ़ने लग जाती है फिर कई घन्टे कई दिन कई महीने इस मन को समझाने मे लग जाते है जो पागल है अपने प्रियतम के लिए उनकी ही सुनता है उनमे मे ही लगा रहता है उनकी यादों मे ही खोया करता है...

Aashiyana meri maa

Image
आशियाना मेरी माँ माँ, तू है मेरी दुनिया, तेरी छांव में सुकून मिला, तेरी गोदी में जो मिला प्यार, वो कोई शब्द नहीं कह सकेगा। तेरी मुस्कान में छुपा सुख, तेरी आंखों में अनमोल रत्न, तू ही मेरा घर है, तू ही मेरा आशियाना। तेरी ममता की छांव में, हर दर्द भी दूर हो जाता, तेरी हंसी के बीच, मेरा हर ग़म भूल जाता। सुन, माँ, तू मेरे लिए, संसार की सबसे कीमती चीज़ है, तू है आशियाना मेरा, जहां हमेशा मेरा दिल बसा है। तू जब पास हो, तो लगता है, जैसे हर खुशी का एहसास हो, आशियाना मेरा सिर्फ तू है, माँ, तू है  मोहब्बत का आशियाना मेरी माँ है, दिल से प्यारा एक जहाँ मेरी माँ है. उसके होठों पे है सुकून का राज, उसके हाथों में है जिंदगी का अंदाज़। जब भी दुनिया से छुपके, दिल ढूंढे अपने सपने, मेरी माँ का चेहरा समुंदर सा गहरा, जहां मिलती है हर ख़ुशी की उम्मीद की लहर। उसकी मुस्कुराहट में छुपी है खुशियाँ, उसकी बातों में मिलती है जीत की दुश्मन, मेरी माँ मेरी दुनिया है, वही तो मेरी मोहब्बत का आशियाना है। छोटे से सपने का रंग उसने दिया, जिंदगी की राहों में, उसने साथ दिया, ह...

chuha billi ka khel

Image
" चूहा बिल्ली का खेल"   याद आता है वो चूहा बिल्ली का खेल, तेरी शरारतें, मेरी मासूम सी नादानी। वो तेरा रूठना, मेरा मनाना, कभी तू छुप जाती, कभी मैं ढूंढता, खेल-खेल में ही तेरी एक झलक पाने को, मैं बेताब रहता, जैसे बिल्ली के पीछे, चूहे की जिंदगानी। वो तेरा शर्माना, मेरी नज़रों से बचकर जाना, दिल में बसी है, तेरी हर एक निशानी। वक्त बदल गया, बदल गए हैं हम भी, पर आज भी याद आती है, वो प्यारी सी शैतानी। तू कहीं भी हो, मेरे दिल में बसी है, तेरे बिना ये जिंदगी, है अधूरी सी कहानी। आजा फिर से खेलें, वही चूहा बिल्ली का खेल, तेरे नाम, तू ही है मेरी, इस दिल की रानी।