समय और जिंदगी का खेल




मय और जिंदगी का खेल


"पैर में से काँटा निकल जाए तो चलने में आनन्द आता हैऔर मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन आनन्द मय हो जाता हैचलते हुए पैरों में कितना फर्क है , एक आगे है तो एक पीछे पर न तो आगे वाले को अभिमान है , न पीछे वाले का अपमान क्योंकि उनको पता है यह पलभर में बदलने वाला हैऔर यही समय और जिंदगी का खेल है"




उपलब्धि और आलोचना 

उपलब्धि और आलोचना एक दूसरे के साथ-साथ रहती है उपलब्धियां जैसे जैसे बढ़ती है ! बैसे-बैसे आपकी आलोचना भी बढ़ती है।


जिंदगी जीना सीख लो

हर किसी को मंज़िल मिले यह तो मुकद्दर की बात है
मगर इंसान कोशिश भी करे यह तो गलत बात है
जिंदगी तो संघर्ष का दूसरा नाम है
वक़्त को मरहम बनाना सीख लो 
हारना तो सब को है एक दिन मौत से 
फ़िलहाल जिंदगी जीना सीख लो

सिर्फ एक ही नाम

ज़िन्दगी में हमारे कारोबार ,लिबास और घर मुख्तलिफ होते है 
अमीर , गरीब , छोटा , बड़ा , उस्ताद , शागिर्द , मालिक और नौकर 
लेकिन मरने के बाद हम सबका सिर्फ एक ही नाम , लिबास और घर रह जाता है 
मय्यत , जनाजा और कफ़न


ख़ुशी का उपहार

"ख़ुशी एक ऐसा उपहार है जो बिना मोल के भी अमनोल हैजो देता है उसका कुछ कम नहीं होता और पाने वाला निहाल हो जाता है"






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