Filling love with nature
Filling love with nature
न जाने वो कहाँ होगा
ख़ुशी होगी जहाँ होगा
खनकती चूड़ियाँ होंगी
खनकता कंगना होगा
...
छनकती पायलें होगी
महकता अंगना होगा
उसे बचपन में देखा था
हो चुका अब जवां होगा
अक्स उसका यहाँ पर है
न जाने वो कहाँ होगा
पेड़ जो अब भी जिंदा है
तन्हा उसके बिना होगा
वहां लगते थे मेले तब
कोई ना अब वहां होगा
पेड़ की नर्म शाखों पर
कौन अब झूलता होगा
हया से सर झुकाकर के
न कोई बोलता होगा
न पत्ते नोचता होगा
न कलियाँ तोड़ता होगा
शहर ज़िंदा है नक़्शे पे
हक़ीक़त में कहाँ होगा
बड़ी मुश्किल हुई होगी
छोड़कर जब गया होगा
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